Hariyali Amavasya 2025



हरियाली अमावस्या क्या है?

हरियाली अमावस्या श्रावण माह (सावन) की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है। यह त्योहार प्रकृति की पूजा, पेड़-पौधों के संरक्षण, और शिव भक्ति से जुड़ा हुआ है। "हरियाली" का मतलब है हरापन या पेड़-पौधे, और "अमावस्या" का मतलब है चंद्रमा के बिना रात (No Moon Day)

हरियाली अमावस्या कब मनाई जाती है?

हर साल यह तिथि जुलाई या अगस्त के महीने में आती है।

📌 2025 में हरियाली अमावस्या की तिथि:
🗓️ 24 जुलाई 2025 (गुरुवार)

हरियाली अमावस्या का धार्मिक महत्व

1. प्रकृति की पूजा

इस दिन लोग वृक्षारोपण (पेड़ लगाना) करते हैं और पेड़ों को भगवान का रूप मानकर उनकी पूजा करते हैं। यह त्योहार पर्यावरण संरक्षण और हरियाली बढ़ाने का संदेश देता है।

2. भगवान शिव की भक्ति

श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन भक्त व्रत रखते हैं, शिवलिंग पर जल/दूध चढ़ाते हैं, और भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

3. कृषि का त्योहार

हरियाली अमावस्या को कृषि और किसानों से भी जोड़ा जाता है। यह समय मानसून और फसल बोने का होता है, इसलिए किसान अच्छी बारिश और फसल की प्रार्थना करते हैं।

हरियाली अमावस्या की प्रमुख परंपराएं

भारत के विभिन्न राज्यों में उत्सव की झलक

राजस्थान

जयपुर, उदयपुर, अलवर आदि शहरों में हरियाली अमावस्या पर विशाल मेले और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं। सिसोदिया रानी बाग और कनाक वृंदावन जैसे बागों में भारी भीड़ होती है।

उत्तर प्रदेश

मथुरा, वृंदावन में मंदिरों में विशेष सजावट और पूजा होती है। भक्त भजन-कीर्तन करते हैं और शिवजी का जलाभिषेक करते हैं।

मध्य प्रदेश

उज्जैन में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में बड़ी संख्या में भक्त दर्शन और पूजन के लिए आते हैं। वृक्षारोपण को लेकर सरकारी और सामाजिक संस्थाएं अभियान चलाती हैं।

हरियाली अमावस्या का आधुनिक महत्व

आज के समय में जब वातावरण प्रदूषण, ग्लोबल वॉर्मिंग और वनों की कटाई जैसे संकट बढ़ रहे हैं, हरियाली अमावस्या हमें प्रकृति से जुड़ने और उसे बचाने की प्रेरणा देती है।

यह पर्व हमें सिखाता है कि:

  • पेड़-पौधे हमारे जीवन के लिए जरूरी हैं
  • हमें पर्यावरण को बचाने में योगदान देना चाहिए
  • हर इंसान को हर साल कम से कम एक पौधा लगाना चाहिए

    📌 हरियाली अमावस्या से जुड़े सामान्य प्रश्न (FAQs)

    Q1. हरियाली अमावस्या क्यों मनाई जाती है?
     यह दिन प्रकृति की पूजा, वृक्षारोपण और भगवान शिव की भक्ति के लिए मनाया जाता है।

    Q2. क्या यह सरकारी छुट्टी होती है?
     कुछ राज्यों (जैसे राजस्थान) में स्थानीय अवकाश होता है।

    Q3. इस दिन क्या करना शुभ माना जाता है?
     पेड़ लगाना, शिव पूजन, व्रत रखना, और दान-पुण्य करना शुभ होता है।

    निष्कर्ष

    हरियाली अमावस्या केवल धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि पर्यावरण की रक्षा का उत्सव भी है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि पेड़ ही जीवन हैं, और हमें अपने जीवन में हरियाली लाने के लिए प्रकृति की सेवा करनी चाहिए

    आइए इस हरियाली अमावस्या पर हम सब एक पौधा जरूर लगाएं, शिव जी की भक्ति करें और इस धरती को फिर से हरा-भरा बनाएं। 🌱

     हरियाली अमावस्या के रोचक तथ्य (Interesting Facts):

    • प्रकृति पूजा का पर्व: यह दिन विशेष रूप से वृक्षारोपण और प्रकृति संरक्षण को समर्पित होता है।
    • शिव भक्तों के लिए पवित्र दिन: भक्त इस दिन भगवान शिव की पूजा और व्रत करते हैं।
    • मेला और सांस्कृतिक आयोजन: राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश में कई स्थानों पर विशाल मेले लगते हैं।
    • बारिश के मौसम की शुरुआत: यह पर्व सावन मास की अमावस्या को आता है, जब हरियाली अपने चरम पर होती है।
    • जल स्रोतों की सफाई का दिन: कई जगहों पर तालाबों और नदियों की सफाई की जाती है।
    • महिलाएं व्रत रखती हैं: विशेषकर विवाहिता महिलाएं पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए व्रत करती हैं।
    • पौधे लगाना शुभ माना जाता है: इस दिन लगाया गया पौधा लंबे समय तक फलता-फूलता है और शुभ माना जाता है।
    • पर्यावरण संरक्षण का संदेश: यह पर्व लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करता है।

    सुझाव

    “इस हरियाली अमावस्या पर एक पौधा लगाएं, धरती को बचाएं।”

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